पार्सल डिलीवरी के नाम पर साइबर ठगी का नया जाल..इस लिंक पर क्लिक किया तो हो सकता है आपका अकाउंट खाली

हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में साइबर ठगों का एक नया और खतरनाक तरीका सामने आया है। ये ठग ऑनलाइन पार्सल डिलीवरी के नाम पर लोगों को निशाना बना रहे हैं। वे लोगों के मोबाइल पर एक जालसाजी वाला मैसेज भेजते हैं। इस मैसेज में लिखा होता है कि आपके पार्सल का पता अधूरा है, जिस वजह से डिलीवरी नहीं हो पा रही है। मैसेज के साथ एक लिंक भी दिया जाता है जिस पर क्लिक करके पार्सल की स्थिति जानने को कहा जाता है। यह मैसेज इतना असली लगता है कि कोई भी आसानी से झांसे में आ जाए। इसमें प्रसिद्ध ऑनलाइन कंपनियों का लोगो और नाम इस्तेमाल किया जाता है। स्थानीय निवासियों अभिषेक, राजन और साहिल ने बताया कि उन्हें भी ऐसे मैसेज मिले। इन मैसेज में प्रसिद्ध ऑनलाइन कंपनी का लोगो और नाम प्रयोग किया गया था, जिससे यह और अधिक असली जैसा लगे। लेकिन उन्होंने सूझबूझ दिखाते हुए लिंक पर क्लिक नहीं किया। तीनों का कहना है कि उन्होंने हाल ही में कोई ऑनलाइन पार्सल बुक ही नहीं किया था, जिससे उन्हें शक हुआ और ठगी से बच गए। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे लिंक पर क्लिक करते ही मोबाइल में वायरस या मालवेयर डाउनलोड हो सकता है, जिससे बैंकिंग जानकारी और व्यक्तिगत डाटा साइबर अपराधियों के हाथ लग जाता है। एएसपी साइबर क्राइम प्रवीण धीमान ने बताया कि अनजान नंबर से मिले लिंक पर क्लिक न करें। संदिग्ध मैसेज मिलने पर तुरंत 1930 पर संपर्क करें। जिला शिमला सत्र न्यायालय ने करीब 11 साल पुराने धोखाधड़ी मामले में शिमला ग्रामीण के एक व्यक्ति को तीन वर्ष की जेल और 10 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट संदीप सिंह सिहाग की अदालत ने यह फैसला सुनाया है। जुर्माना अदा न करने पर दोषी को तीन महीने का अतिरिक्त कठोर कारावास भुगतना होगा। आरोप लगे थे कि दोषी देवराज निवासी गांव शिल्ली बागी, तहसील शिमला ने खुद को यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी का कैश मैनेजमेंट सर्विसेज अधिकारी बताकर धोखाधड़ी से 18,974 रुपये हड़प लिए थे। न्यायालय में केस के दौरान दोनों पक्षों की ओर से दलीलें दी गईं। सबूतों के आधार पर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने दोषी देवराज को दंडनीय अपराधों के लिए दोषी ठहराते हुए सजा सुनवाई है।

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